चौरसिया (तम्बोली) के औजार
डॉक्टर शिवप्रसाद जी चौरसिया, जिनके वाराणसी में पुस्तैनी पान का व्यवसाय है, उन्होंने तम्बोली के परम्परागत औजारों के बारे में जानकारी दी. साथ ही उन्होंने कत्थे और पान के बारे में भी बताया.
चौरसिया के औजार
चुनौटी- चुना लगाने की डंडी, यह सामान्यतः पीतल की होती है.
कत्था लगाने की डंडी - यह ऐसी लकड़ी की बनी होती है जो पानी में फूलती और सड़ती नहीं है. कत्थे की डंडी लगातार पानी में डूबी रहती है इसलिए इसमें यह गुण होना आवश्यक है.
इन विशेष औजारों के अलावा तम्बोली या पनवाड़ी पान काटने के लिए सामान्य कैंची, सुपारी काटने के लिए सरोता, पान रखने के लिए टोकरी, ज़र्दा, किमाम, पिपरमिंट सौंफ, आदि रखने के लिए डिब्बियां या शीशियां, कत्थे और चुने के लिए लोटा, बिछाने के लिए सामान्यतः लाल रंग का मोटा सूती कपडा आदि का इस्तेमाल करता है.
वाराणसी के पान
मगही पान का पत्ता हरे रंग का होता है. इसे लकड़ी के कोयले की गर्मी में हल्का सा पकाया जाता है जिससे यह सफ़ेद हो जाता है. इसी सफ़ेद पान का उपयोग खाने में किया जाता है. यह बहुत ही मुलायम और छोटा होता है, मुँह में रखते ही घुल जाता है. आजकल प्रायः इसकी जगह जगन्नाथी पान प्रयोग में लिया जाने लगा है जो की इसका नकली संस्करण है.
कत्था
कत्थे के पेड़ के छाल को उबाल कर कत्था निकाला जाता है. इसका पेड़ बबुल के जैसा दीखता है और इसमें भी कांटे होते हैं. आजकल अधिकतर केमिकल से बना हुआ कत्था काम में लिया जाता है और असली कत्था महंगा और मुश्किल से मिलता है.
बढ़ई (सुतार) और उसके औजार
राजमिस्त्री और उसके औजार